दादा बरगद-सा रखे, सौरभ सबका ध्यान। जिसे जरूरत जो पड़े, झट लाते सामान।।
गाकर लोरीं रोज ही, करतीं खूब दुलार। दादी से घर में लगे, खुशियों का दरबार।।